हाल ही में रायपुर के रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट के मान्यता में रिश्वत कांड ने देश भर में सुर्खियां बटोर ली हैं। इस कांड के उजागर होने के बाद सीबीआई ने मेडिकल मान्यता के मामलों में जांच शुरू की थी। शुरुआती जांच में 20 से अधिक कॉलेजों को जांच के घेरे में लाया गया और उनके संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
इसी कड़ी में इंदौर के एक निजी मेडिकल कॉलेज पर गुरुवार को ईडी ने छापा मारा और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। इस छापे को दस राज्यों में एक साथ किए गए छापों से जोड़ा जा रहा है। इंदौर के इस कॉलेज के संचालक सुरेश भदौरिया के खिलाफ भी पहले ही मेडिकल मान्यता और धोखाधड़ी का केस दर्ज हो चुका है।
छापों के पीछे की कहानी
आपको बता दें कि पहले ही सीबीआई ने इस मामले में छह महीने पहले 40 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे। इस कार्रवाई में तीन डॉक्टरों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अब ईडी की टीम ने भी कॉलेज और उसके अकाउंट विभाग में जांच शुरू की है। हालांकि संचालक के घर और दफ्तर पर ईडी टीम नहीं पहुंची।
जांच में यह सामने आया कि कॉलेज संचालकों को पहले ही दौरे और निरीक्षण के बारे में जानकारी दे दी जाती थी। इसके बाद वे कॉलेज में मान्यता के लिए आवश्यक मापदंडों के अनुसार सभी इंतजाम कर लेते थे। इस प्रकार मान्यता दिलाने में रिश्वत और गुप्त गठजोड़ की पूरी व्यवस्था सामने आई है।
भविष्य में क्या हो सकता है
इस कांड के उजागर होने से चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़ा हलचल मची हुई है। अब इस मामले की पूरी तह तक जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कार्रवाई अन्य मेडिकल कॉलेजों को भी सतर्क कर सकती है।
रायपुर और इंदौर के मेडिकल इंस्टीट्यूट रिश्वत कांड ने साबित कर दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी महत्वपूर्ण है। जांच में शामिल एजेंसियों की कार्रवाई से साफ संदेश गया है कि कोई भी ग़लत काम बगैर सजा के नहीं रह सकता।

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