कभी आपने सोचा है कि छोटी-सी लापरवाही कितनी बड़ी कीमत वसूल सकती है। इंदौर के रानीपुरा क्षेत्र में हुआ हादसा इसका जीता-जागता उदाहरण है। कुछ दिन पहले ही मकान का एक कॉलम धंस गया था और दुकानदार ने मकान मालिक को इस बारे में चेताया भी था। लेकिन अफसोस कि उस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया गया और यही लापरवाही आखिरकार दो जिंदगियों के खत्म होने और कई परिवारों के टूटने की वजह बन गई।
यह मकान लगभग सात सौ वर्गफीट में बना था और अवैध तरीके से खड़ा किया गया था। निचली मंजिल में बिना अनुमति दुकानों का निर्माण हुआ और ऊपर शेड डाल दिए गए। निर्माण के दौरान कॉलम में पतले सरिए डाले गए थे, जो इमारत का बोझ सह नहीं पाए। धीरे-धीरे झुकते मकान को नजरअंदाज करना भारी पड़ गया।
चार दिन पहले जब कॉलम धंसा तो दुकानदार ने मकान मालिक से शटर न लग पाने की समस्या बताई थी। लेकिन मकान मालिक ने इसे हल्के में लिया। अगर नगर निगम के अफसर और मालिक समय रहते जाग जाते तो शायद यह हादसा टल सकता था।
त्योहार का समय था और दुकानों में ग्राहकी कम थी। रात आठ बजे के करीब सभी दुकानें बंद हो गईं। यह संयोग ही था कि कर्मचारी और दुकानदार समय पर निकल गए और बड़ी संख्या में लोग हादसे से बच गए। कुछ परिवार भी रिश्तेदारों से मिलने बाहर गए हुए थे। वरना मलबे में दबने वालों की संख्या कहीं ज्यादा होती।
रात डेढ़ बजे तक राहत और बचाव का काम चलता रहा। जेसीबी से मलबा हटाने से पहले पूरी गली की बिजली काट दी गई ताकि बचाव कार्य में कोई बाधा न आए। वहां मौजूद हर शख्स के दिल में यही सवाल था कि आखिर कब तक हम लापरवाही और अवैध निर्माणों की कीमत अपनी जिंदगियों से चुकाते रहेंगे।
रानीपुरा की इस त्रासदी ने फिर साबित कर दिया कि छोटी सी अनदेखी भी कितनी बड़ी तबाही ला सकती है। मकान मालिक और जिम्मेदार अधिकारियों को यदि समय रहते चेतना होता तो मासूम जिंदगियां बच सकती थीं। अब जरूरत है कि अवैध निर्माण और लापरवाही पर सख्ती हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

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