मध्यप्रदेश की राजनीति में मालवा निमाड़ की अहमियत हमेशा खास रही है। सत्ता का रास्ता अक्सर इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है और इसी वजह से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट गए हैं। आने वाले दिनों की राजनीतिक तस्वीर को ध्यान में रखते हुए दोनों पार्टियों ने संगठन के कई बड़े पदों पर मालवा निमाड़ के नेताओं को जिम्मेदारियां देकर साफ कर दिया है कि यहां की हर सीट उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस ने मालवा निमाड़ के नेताओं पर जताया भरोसा
कांग्रेस ने इस बार अपने कई प्रमुख पदों की कमान मालवा निमाड़ को सौंपकर बड़ा संदेश दिया है। प्रदेश महिला कांग्रेस की जिम्मेदारी इंदौर की रीना बौरासी को दी गई है। रीना बौरासी पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू की बेटी हैं और उन्होंने सांवेर से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। उनकी नियुक्ति से कांग्रेस ने इंदौर में अपने संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की कोशिश की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद राऊ क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं और लंबे समय से इंदौर की राजनीति में सक्रिय हैं। इसी तरह नेता प्रतिपक्ष गंधवानी से विधायक हैं जो निमाड़ क्षेत्र की महत्वपूर्ण आदिवासी सीट है। इसके अलावा आगर से विधायक रह चुके विपिन वानखेड़े को इंदौर जिले की कमान पहले ही सौंपी जा चुकी है। इन सभी नियुक्तियों से साफ है कि कांग्रेस मालवा निमाड़ के संगठन को नए फोकस के साथ तैयार कर रही है।
भाजपा ने इंदौर उज्जैन मंदसौर और निमाड़ को चार हिस्सों में बांटा
भाजपा ने भी संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। पहले इंदौर और उज्जैन संभाग के लिए एक एक संगठन प्रभारी होता था लेकिन इस बार पार्टी ने इन दोनों के साथ साथ मंदसौर और निमाड़ के लिए अलग संगठन प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। इससे स्पष्ट है कि पार्टी 66 सीटों वाले इस क्षेत्र में अपनी सियासी जमीन को और मजबूत करना चाहती है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन से विधायक हैं और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा मंदसौर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। सरकार के दो बड़े पद मालवा क्षेत्र को मिलने से भाजपा ने यह संदेश दे दिया है कि वह मालवा निमाड़ को आगामी चुनावों के लिए सबसे अहम शक्ति केंद्र मानती है।
क्यों है मालवा निमाड़ इतना महत्वपूर्ण
मध्यप्रदेश में सत्ता का समीकरण बदलने में सबसे बड़ी भूमिका मालवा निमाड़ की 66 विधानसभा सीटें निभाती हैं। पिछले कई चुनावों से यही देखा गया है कि जिस दल ने यहां अधिक सीटें जीती सरकार उसी की बनी। यही वजह है कि दोनों दल इस क्षेत्र में राजनीतिक संतुलन साधने और संगठन को मजबूत करने में पूरी ताकत लगा रहे

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