इंदौर की शिक्षाप्रधान और संस्कारित धरती पर स्थित शासकीय सांदीपनि अहिल्याश्रम कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 में जब गुरुपूर्णिमा का आयोजन हुआ, तो पूरा परिसर गुरु वंदना के मधुर स्वरों और श्रद्धा से सराबोर हो गया। इंदौर, जो हमेशा से शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है, वहाँ की बेटियों ने जिस आत्मीयता और सच्चे भाव से अपने गुरुजनों को सम्मान दिया, वह सचमुच प्रेरणादायक था।
इस कार्यक्रम ने इंदौर शहर की उस परंपरा को फिर से जीवित कर दिया जिसमें शिक्षक को माता-पिता से भी ऊँचा दर्जा दिया जाता है। यहाँ की छात्राओं ने न केवल अपने गुरुजनों को पुष्प अर्पित किए बल्कि शब्दों और कलाकृतियों के माध्यम से भी उनका आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के दौरान छात्राओं — दीपशिखा रघुवंशी, प्रगति बर्डे, नेहा गुप्ता, प्राची प्रजापत, रानी धीमान, पिंकी धुर्वे, रिया नागोरी, भावना प्रजापत, सृष्टि रघुवंशी, कोमल सोलंकी और ज्योति कुर्मी — ने मंच पर आकर अपने विचार रखे। इन बेटियों ने अपने शब्दों से गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को न केवल दर्शाया बल्कि सभी को आत्ममंथन के लिए प्रेरित भी किया।
गुरुपूर्णिमा जैसे आध्यात्मिक अवसर पर इंदौर के इस विद्यालय में हुआ यह आयोजन न सिर्फ विद्यार्थियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक उदाहरण बनकर सामने आया। यह हमें याद दिलाता है कि बदलते दौर में भी यदि कोई रिश्ता अटूट है, तो वह है गुरु और शिष्य का पवित्र संबंध।
Disclaimer:यह लेख इंदौर स्थित शासकीय विद्यालय के कार्यक्रम पर आधारित है। इसका उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देना और समाज में शिक्षकों की भूमिका की महत्ता को रेखांकित करना है।

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