टिंडा, जिसे 'आईवी' या 'फोटो' भी कहा जाता है, भारत में उगने वाली एक स्वादिष्ट और लाभकारी फसल है।
टिंडा भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर उत्तर और मध्य भारत में यह व्यापक रूप से उगाई जाती है।
टिंडे की फसल के लिए गर्मियों का मौसम सबसे उपयुक्त होता है, इसे अप्रैल से जून में बोया जाता है।
टिंडा की फसल को हल्की, दोमट मिट्टी चाहिए, जिसमें अच्छी जल निकासी क्षमता हो और pH संतुलित हो।
टिंडा को नियमित पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन ज्यादा पानी से जड़ों में सड़न हो सकती है, जिससे नुकसान होता है।
टिंडे की फसल को अच्छे उत्पादन के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का सही अनुपात देने की जरूरत होती है।
टिंडा में कीटों और रोगों जैसे व्हाइटफ्लाई, पाउडरी मिल्ड्यू से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक उपाय अपनाए जाते हैं।
टिंडा की फसल लगभग 45-60 दिनों में तैयार हो जाती है, जब फल हल्के हरे और मुलायम होते हैं।
टिंडा की फसल से प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है, जो किसानों के लिए लाभकारी है।
टिंडा की फसल की बाजार में अच्छी मांग होती है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा देती है, खासकर घरेलू और निर्यात बाजार में।