पालक की खेती एक लाभकारी और पौष्टिक फसल है, जो जल्दी उगती है और आसानी से उगाई जा सकती है।
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पालक में आयरन, कैल्शियम, विटामिन A, और C भरपूर मात्रा में होते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं।
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पालक की खेती ठंडी जलवायु में होती है। इसे सर्दी में उगाना सबसे अच्छा होता है, जब तापमान 10-20°C हो।
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पालक के लिए हल्की, बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। भूमि को अच्छे से पलटकर नमी बनाए रखें।
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पालक के बीज को 1-2 इंच गहरे छेद में बोना चाहिए, और 30-45 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें।
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पालक को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। मिट्टी में नमी बनी रहे तो फसल अच्छी होती है।
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पालक की फसल को जैविक खाद, गोबर की खाद और नाइट्रोजन आधारित उर्वरक की जरूरत होती है। यह पौधों को पोषण देता है।
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पालक पर कीड़े और रोगों का खतरा रहता है। प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल और समय-समय पर छिड़काव जरूरी है।
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पालक की पत्तियों को 30-40 दिन बाद कटाई के लिए तैयार किया जा सकता है, जब पत्तियाँ हरी और ताजगी से भरपूर हों।
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पालक की खेती से किसानों को अच्छी आय होती है, क्योंकि यह जल्दी उगती है और बाजार में मांग भी अधिक होती है।
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