ओल की खेती एक परंपरागत और लाभकारी कृषि व्यवसाय है, जो कई इलाकों में उगाया जाता है।
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ओल की फसल की मुख्य विशेषता यह है कि इसे विशेष रूप से ठंडे और नम इलाकों में उगाया जाता है।
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ओल के पौधे के लिए उपजाऊ और भुरभुरी मिट्टी सर्वोत्तम होती है, जिससे पौधों की जड़ें आसानी से बढ़ सकें।
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ओल की खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन सही समय पर सिंचाई से पैदावार बढ़ती है।
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ओल के पौधे को 6-8 महीने के बाद खुदाई के लिए तैयार किया जाता है, जिससे अधिक फसल मिलती है।
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ओल की जड़ें और छाल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं और अन्य पारंपरिक उपचारों में किया जाता है।
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इसकी खेती से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है, क्योंकि ओल के पौधे मिट्टी को सुधारते हैं।
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ओल की फसल के द्वारा किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं क्योंकि इसका उपयोग कई उद्योगों में होता है।
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ओल की फसल में बुरे मौसम से बचाव के लिए, सही पोषण और कीट नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।
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ओल की खेती से पर्यावरण को भी लाभ होता है, क्योंकि यह मिट्टी के नुकसान को कम करता है।
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