वर्मीकल्चर एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें केंचुए का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और फसलों की पैदावार में सुधार करने के लिए किया जाता है।

वर्मीकल्चर से प्राप्त होने वाली खाद (वर्मी कंपोस्ट) पौधों के लिए अत्यधिक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो फसल की वृद्धि में मदद करती है।

यह तकनीक पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के मुकाबले पर्यावरण-friendly है और मिट्टी को स्वस्थ और उपजाऊ बनाए रखती है।

वर्मीकल्चर के जरिए कृषि में जैविक खाद का उपयोग बढ़ाने से पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ता है, साथ ही भूमि का संरक्षण होता है।

केंचुए मिट्टी को भुरभुरी बनाते हैं, जिससे जल धारण क्षमता बढ़ती है और फसल की सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।

वर्मीकल्चर से फसल में रोगों और कीटों का सामना प्राकृतिक रूप से किया जाता है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती।

यह तकनीक किसानों को स्थायी और लाभकारी कृषि प्रणाली अपनाने में मदद करती है, जो दीर्घकालिक फसल उत्पादकता सुनिश्चित करती है।

वर्मीकल्चर में कम लागत और उच्च गुणवत्ता वाली खाद मिलती है, जिससे किसानों की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है।

यह तकनीक छोटे और बड़े किसानों दोनों के लिए उपयुक्त है, और कम जगह में भी आसानी से लागू की जा सकती है।

वर्मीकल्चर का उपयोग न केवल फसल उत्पादन में, बल्कि कृषि अवशेषों के निपटान में भी किया जा सकता है, जिससे अपशिष्ट कम होता है।