करेले की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा प्रदान कर सकता है।
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करेला एक पौष्टिक सब्जी है, जिसमें विटामिन C, A और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं।
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करेले की खेती गर्म जलवायु में बेहतर होती है, जहाँ मौसम गर्म और उष्णकटिबंधीय हो।
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करेले की बुआई गर्मी के मौसम में मार्च से अप्रैल के बीच की जाती है। मिट्टी की तैयारी जरूरी है।
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करेले के लिए रेतीली और जल निकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है, जिसमें पर्याप्त पोषक तत्व हों।
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करेले की फसल में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसकी वृद्धि के लिए नमी की आवश्यकता होती है।
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करेले के पौधे को नियमित रूप से कीट और रोगों से बचाने के लिए जैविक और रासायनिक उपचार जरूरी है।
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फसल में खाद का उपयोग ध्यान से करें। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद ज्यादा लाभकारी होती है।
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करेले की फसल 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है। फल तोड़ने का समय सही होना चाहिए।
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करेले की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए उचित देखभाल और नियमित निगरानी जरूरी है। इससे लाभ बढ़ता है।
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