रेशम की खेती यानी सिल्क फार्मिंग एक पुरानी और महत्वपूर्ण कृषि कला है, जो कपड़ा उत्पादन में इस्तेमाल होती है।

इसमें सिल्कवर्म (रेशमी कीड़े) को पालन किया जाता है, जिससे उनका धागा (रेशम) निकाला जाता है, जो कीमती होता है।

रेशम की खेती का प्रमुख लक्ष्य धागा प्राप्त करना है। यह धागा फिर कपड़ा बनाने में इस्तेमाल होता है।

सिल्कवर्म्स का प्रमुख आहार "तुलसी" के पत्ते होते हैं, जिन्हें खाकर वे धागा उत्पादन करते हैं।

रेशम की खेती में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है धागे का सफाई से निकाला जाना, जो उत्पाद की गुणवत्ता को सुधारता है

भारत में रेशम की खेती कई प्रमुख राज्यों में होती है, जैसे कर्नाटका, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल।

रेशम की खेती से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है, क्योंकि यह कई लोगों को रोजगार प्रदान करती है।

इस खेती के लिए अच्छे मौसम और मिट्टी की आवश्यकता होती है। सुहावना और गर्म वातावरण इसके लिए उपयुक्त है।

रेशम का धागा उत्पादन, सफाई और उसकी छानाई एक कठिन और समय-लंबी प्रक्रिया होती है।

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