आत्मा परियोजना और कृषि महाविद्यालय इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “कृषि सखी” कार्यक्रम के अंतर्गत पाँच दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण का समापन समारोह गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।
समारोह में मुख्य अतिथि सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि प्राकृतिक खेती केवल उत्पादन बढ़ाने का साधन नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवनशैली है, जो मिट्टी, जल और पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए किसानों की आमदनी बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि “कृषि सखी” जैसे प्रयास ग्रामीण महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करते हैं और स्थायी परिवर्तन की नींव रखते हैं।
कृषि महाविद्यालय इंदौर के डीन डॉ. भारत सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राकृतिक खेती की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग की चुनौतियों के बीच प्राकृतिक खेती एक प्रभावी समाधान है।
परियोजना संचालक (आत्मा) शर्ली थॉमस ने कहा कि कृषि सखियाँ अब सिर्फ प्रशिक्षित महिलाएँ नहीं रहेंगी, बल्कि अपने गाँवों में प्राकृतिक कृषि की पथप्रदर्शक बनेंगी। वहीं नोडल अधिकारी डॉ. दीक्षा ने बताया कि प्रशिक्षण को इस तरह तैयार किया गया था कि महिलाएँ प्राकृतिक खेती को न केवल समझें, बल्कि उसे व्यवहार में भी लागू कर सकें।
कार्यक्रम में श्री नवीन शुक्ला (डीपीएम) और श्रीमती अल्पना वर्मा (डीपीडी) विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने महिला सहभागिता और प्रशिक्षण के आयोजन की सराहना की। समापन अवसर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उनके लिए ज्ञानवर्धक और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला साबित हुआ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय दुबे ने किया और आभार प्रदर्शन श्री अमर दीक्षित द्वारा किया गया।

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