आज हम एक ऐसी गन्ने की किस्म की बात करेंगे जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं गन्ने की 98214 वैरायटी की, जो न सिर्फ शानदार उत्पादन देती है, बल्कि किसानों को सामान्य गन्ने की तुलना में 20% अधिक मुनाफा भी करवा सकती है। खासकर यूपी के लखीमपुर खीरी जैसे इलाकों में, जहां गन्ने की खेती मुख्य रूप से की जाती है, यह किस्म बेहद लोकप्रिय हो रही है। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं कि आखिर यह वैरायटी किसानों के लिए इतनी फायदेमंद क्यों है।
शीतकालीन सत्र में गन्ने की बुआई क्यों है फायदेमंद?
दोस्तों, अक्टूबर और नवंबर का महीना शीतकालीन गन्ने की बुआई के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस समय तक धान की कटाई हो चुकी होती है और खेत खाली हो जाते हैं। ऐसे में किसान धान के बाद गन्ने की फसल लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
लखीमपुर खीरी को “चीनी का कटोरा” कहा जाता है, क्योंकि यहां गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इस बार किसान गन्ने की 98214 वैरायटी को अपना रहे हैं, जो तेजी से बढ़ती है, ज्यादा उत्पादन देती है और कम लागत में भी बेहतरीन रिजल्ट देती है। यही वजह है कि गन्ना विभाग और शुगर मिल के अधिकारी भी किसानों को इस किस्म की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
98214 गन्ने की किस्म क्यों है खास?
अब सवाल आता है कि आखिर 98214 वैरायटी में ऐसा क्या खास है जो इसे बाकी गन्ने की किस्मों से बेहतर बनाती है? दोस्तों, इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह तराई क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
तराई क्षेत्र में बाढ़ और अधिक नमी की समस्या रहती है, जिससे कई अन्य फसलें बर्बाद हो जाती हैं। लेकिन 98214 वैरायटी का गन्ना इस माहौल में भी जबरदस्त तरीके से बढ़ता है और किसानों को अच्छा खासा मुनाफा देता है।
20% अधिक उत्पादन, कम लागत और ज्यादा मुनाफा
किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशी तब होती है जब उनकी फसल ज्यादा उत्पादन दे और कम लागत में अच्छी कमाई हो। दोस्तों, 98214 गन्ने की वैरायटी सामान्य गन्ने की तुलना में 20% अधिक पैदावार देती है।
- इस गन्ने की बुआई से किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होता है।
- कम पानी की जरूरत होती है, जिससे सिंचाई का खर्च कम हो जाता है।
- गन्ने की गुणवत्ता भी बेहतरीन होती है, जिससे शुगर मिलों में इसकी डिमांड ज्यादा रहती है।
- बाढ़ और ज्यादा नमी झेलने की क्षमता होने के कारण यह तराई क्षेत्र के लिए बेस्ट साबित होता है।
रेजर और ट्रेंच तकनीक से बढ़ेगी पैदावार
अगर किसान इस गन्ने की बुआई रेजर या ट्रेंच तकनीक से करें, तो उन्हें और भी बेहतर रिजल्ट मिल सकते हैं। इस तकनीक में पहले खेतों में गहरी नालियां बनाई जाती हैं और फिर उन नालियों में गन्ने के बीजों की बुआई की जाती है।
- इससे फसल को सही मात्रा में नमी मिलती है और पानी की जरूरत भी कम होती है।
- जब नालियों में बीज डाले जाते हैं, तो उनके ऊपर जैविक खाद और उर्वरक डाला जाता है, जिससे गन्ने का विकास तेजी से होता है।
- सामान्य तरीकों की तुलना में इस विधि से 98214 गन्ने की पैदावार 25-30% तक बढ़ सकती है।
किसानों के लिए सुनहरा अवसर
दोस्तों, लखीमपुर खीरी और आसपास के इलाकों के किसानों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। वे धान की कटाई के बाद 98214 वैरायटी के गन्ने की बुआई कर सकते हैं और अगली फसल में शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। शुगर मिलों में इस किस्म की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना भी ज्यादा है।
अगर आप भी गन्ने की खेती करते हैं, तो इस बार 98214 वैरायटी को आजमाएं और बेहतर उत्पादन और ज्यादा मुनाफा कमाने के इस अवसर का पूरा फायदा उठाएं
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खेती-किसानी और कृषि तकनीकों पर 5+ वर्षों का अनुभव। किसानों के लिए उपयोगी जानकारियां और नई तकनीकों पर शोधपूर्ण लेख लिखते हैं।