Indore News: इंदौर से एक ऐसी चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने ना सिर्फ शिक्षा जगत बल्कि पूरे मध्यप्रदेश को हिला कर रख दिया है। बात हो रही है इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के संचालक सुरेश भदौरिया की, जो एक बार फिर से गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ये वही भदौरिया हैं, जिनका नाम पहले भी चर्चित व्यापमं घोटाले में आ चुका है और सीबीआई उनके खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है। अब एक बार फिर उन पर एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें फर्जी डिग्रियां देने और मेडिकल कॉलेजों की मान्यता में धोखाधड़ी का आरोप है।
दरअसल, सीबीआई ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में छापा मारा था। वहां से ऐसे दस्तावेज मिले, जिनसे पूरे देशभर में फैले मेडिकल कॉलेजों में हो रही धांधली की परतें खुलने लगीं। इसी कड़ी में इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज और सुरेश भदौरिया के निवास स्थान पर भी छापा पड़ा। इसके बाद से ही भदौरिया फरार हो गया है और सीबीआई उसे तलाश रही है। माना जा रहा है कि वह गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो चुका है।
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जांच एजेंसियों को शक है कि भदौरिया ने अपने कॉलेज में पढ़ रहे कुछ छात्रों को फर्जी डिग्री भी दिलाई है। अगर ये साबित होता है, तो न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा धब्बा लगेगा, बल्कि उन छात्रों का भविष्य भी अंधकार में जा सकता है, जिन्हें इन डिग्रियों के दम पर डॉक्टर बनने का सपना दिखाया गया।
सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट में भदौरिया अकेला नहीं है। उसके साथ 35 अन्य लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं, जो पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने, उसे रिन्यू कराने और कॉलेजों में फर्जी छात्रों को एडमिशन दिलाने जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त हैं।
सीबीआई इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किन-किन कॉलेजों में फर्जीवाड़ा हुआ है और कितने छात्रों को गलत तरीके से डिग्री दी गई है। इंदौर और देवास में भदौरिया के कई मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और नर्सिंग कॉलेज हैं। इतना ही नहीं, सालभर पहले ही उसे एक निजी विश्वविद्यालय की भी मंजूरी मिल चुकी थी।
अब सवाल ये उठता है कि ऐसे व्यक्ति को इतनी बड़ी जिम्मेदारी और अधिकार कैसे मिलते रहे? क्या हमारी सिस्टम की लापरवाही ने शिक्षा को इस हद तक गिरा दिया है कि अब लोग पैसों और पहुंच के दम पर डॉक्टर बन सकते हैं?
ये मामला सिर्फ एक घोटाले की कहानी नहीं है, बल्कि ये हमारे समाज और सिस्टम के उस सड़ांध की गवाही है, जो वर्षों से अंदर ही अंदर पल रही है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि शिक्षा की पवित्रता बनी रहे और आने वाली पीढ़ी को एक पारदर्शी और ईमानदार व्यवस्था मिल सकते हे
Disclaimer:
इस खबर में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सीबीआई द्वारा जारी जानकारी पर आधारित है। PravahTimes किसी भी प्रकार से किसी व्यक्ति विशेष को दोषी घोषित नहीं करता। अंतिम निर्णय न्यायिक प्रक्रिया द्वारा ही लिया जाएगा। हमारा उद्देश्य केवल तथ्यात्मक और सामाजिक रूप से जरूरी खबरों को आप तक पहुंचाना है

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