दिसंबर में मटर की खेती ऐसा करें तैयार होगी भरपूर हरी फलियां और मिलेगी शानदार पैदावार

मटर की खेती

आज हम बात कर रहे हैं मटर की खेती के बारे में जो इस समय पूरे उत्तर भारत में तेजी से हो रही है। ठंड के मौसम में मटर का विकास बेहद अच्छा होता है और अगर कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाए तो पैदावार उम्मीद से भी ज्यादा मिल सकती है। इसलिए अगर आप भी मटर की खेती की तैयारी कर रहे हैं या बुवाई कर चुके हैं तो यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी है।

सही समय पर बुवाई से मिलती है मजबूत शुरुआत

ठंड के दिनों में मिट्टी में नमी पर्याप्त होती है और ऐसी स्थिति में मटर के पौधे तेजी से विकसित होते हैं। अच्छी पैदावार का पहला कदम सही समय पर बुवाई है। यदि बुवाई थोड़ी देर से हो रही है तो बीज उपचार जरूर करना चाहिए। इससे बीज रोगों से सुरक्षित रहते हैं और अंकुरण मजबूत होता है।

बुवाई के बाद हल्की सिंचाई देती है फसल को जीवन

जब बीज मिट्टी में जाते हैं तो उन्हें हल्की सिंचाई की जरूरत होती है। इससे बीज फटने में सहायता मिलती है और जड़ें मिट्टी में तेजी से फैलती हैं। पाला पड़ने की संभावना वाले मौसम में हल्की सिंचाई पौधों को ठंड के नुकसान से बचाती है और फसल का विकास संतुलित रहता है।

20 से 25 दिन बाद निराई गुड़ाई से खेत रहता है साफ और फसल होती है मजबूत

बुवाई के लगभग 20 से 25 दिन बाद पहली निराई गुड़ाई करना बेहद जरूरी है। इससे खेत में उगे खरपतवार नियंत्रित रहते हैं और पौधों को पोषण सही मात्रा में मिल पाता है। इस प्रक्रिया से मटर की फसल स्वस्थ रहती है और फूल तथा फलियों की संख्या बढ़ती है।

जैविक खाद से बढ़ती है मिट्टी की ताकत और फसल की गुणवत्ता

मटर की फसल के लिए खेत में जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद का उपयोग बेहद फायदेमंद होता है। इससे पौधों को अतिरिक्त पोषण मिलता है और तना मजबूत बनता है। जरूरत लगे तो पत्तियों पर 2 प्रतिशत डीएपी घोल या 1 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है जिससे फसल हरी भरी रहती है। लेकिन ध्यान रहे कि नाइट्रोजन की अत्यधिक मात्रा पौधे को पत्तेदार तो बना देती है पर फलियों की संख्या कम कर देती है।

कीट नियंत्रण जरूरी नहीं तो फसल हो सकती है कमज़ोर

मटर की फसल को थ्रिप्स और एफिड जैसे कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए नीम का घोल एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है। जरूरत पड़ने पर अनुशंसित दवा का प्रयोग भी किया जा सकता है। समय पर छिड़काव करने से पौधे सुरक्षित रहते हैं और उत्पादन पर असर नहीं पड़ता।

जल निकास व्यवस्था रखें मजबूत नहीं तो हो सकती है जड़ गलन की समस्या

मटर की फसल को नमी पसंद है लेकिन खेत में पानी नहीं रुकना चाहिए। पानी के जमाव से जड़ें गलने लगती हैं और फफूंद रोग तेजी से फैलते हैं। इसलिए खेत में जल निकास की व्यवस्था हमेशा बेहतर रखें ताकि फसल स्वस्थ और उत्पादक बनी रहे।

अगर मटर की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो फसल हरी भरी और फलियों से लदी रहती है। सही समय पर बुवाई हल्की सिंचाई निराई गुड़ाई जैविक खाद और कीट नियंत्रण जैसे कदम मटर की पैदावार को कई गुना बढ़ा सकते हैं। ठंड का यह मौसम मटर की खेती के लिए सबसे अनुकूल होता है तो इसे समझकर खेती करें और शानदार उत्पादन पाएं।

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