जल संकट बढ़ता जा रहा है, ऐसे में खेती में पानी का सही उपयोग फसलों के लिए आवश्यक है।

ड्रिप सिंचाई में पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी की बचत होती है।

सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मल्चिंग और अन्य जल संरक्षण विधियों का इस्तेमाल करने से पानी की बचत होती है।

वर्षा के पानी को संग्रहित करने के लिए तालाब, कुएं और जलाशय बनाएं। यह भविष्य में जल आपूर्ति में मदद करता है।

बारिश के पानी को एकत्र कर उसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने से जल स्रोतों पर दबाव कम होता है।

 मिट्टी को ढीला करने से पानी का अवशोषण बढ़ता है और जल की बर्बादी कम होती है।

फसल चक्र अपनाकर भूमि की उर्वरता बनाए रखते हुए पानी की आवश्यकता कम की जा सकती है।

हवा और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पेड़-पौधे लगाना जल संरक्षण में सहायक है।

जल वितरण के लिए पानी को विभाजित कर छोटे क्षेत्रों में उपयोग करने से जल की बचत होती है।

किसानों को जल संरक्षण के लाभ और तकनीकों के बारे में शिक्षा देना, उनकी जीवनशैली में बदलाव लाता है।