दोस्तों किसानों और केंद्र सरकार के बीच चल रहे लंबे विवाद को सुलझाने के लिए एक बार फिर बैठक हुई। शनिवार को तीन घंटे तक चली इस महत्वपूर्ण वार्ता में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रह्लाद जोशी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की। पंजाब सरकार की ओर से वित्त मंत्री हरपाल चीमा, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुद्डियां और खाद्य मंत्री लाल चंद कटारूचक मौजूद रहे।
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे सौहार्दपूर्ण बताया और घोषणा की कि अगली वार्ता 19 मार्च को होगी। दोस्तों, अब बड़ा सवाल यह है – क्या इस बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी मिलेगी या फिर यह बातचीत भी अधूरी रह जाएगी? आइए, जानते हैं इस बैठक की पूरी जानकारी।
MSP पर अभी भी मतभेद
दोस्तों, बैठक में MSP पर चर्चा हुई, लेकिन अभी भी किसानों और सरकार के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद बरकरार हैं। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने बताया कि फसलों की खरीद की मात्रा को लेकर दोनों पक्षों में असहमति बनी हुई है।
इस बीच, केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहर के एक ऑडियो को लेकर भी चिंता जताई, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि सरकार केवल 25-30% फसल की खरीद करे। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया और चेतावनी दी कि आंशिक खरीद का समझौता कॉरपोरेट्स के पक्ष में जाएगा।
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किसानों की मुख्य मांगें – क्या सरकार मानेगी?
दोस्तों, किसान संगठनों की प्रमुख मांगें अभी भी वही हैं:
MSP की कानूनी गारंटी
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना
किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज़ माफ़ी
किसानों और मज़दूरों के लिए पेंशन योजना
2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों की वापसी
शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी
पिछली बैठक में तय हुआ था कि इन मुद्दों पर आगे बातचीत जारी रहेगी, लेकिन अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है।
किसान आंदोलन में अब तक 60 किसानों की मौत
दोस्तों, MSP की गारंटी को लेकर किसान पिछले साल फरवरी से ही हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। अब तक 60 से ज्यादा किसान इस आंदोलन में अपनी जान गंवा चुके हैं। बावजूद इसके, सरकार और किसान संगठनों के बीच समाधान नहीं निकल पा रहा है।
केंद्र सरकार का दावा
बैठक से पहले दिल्ली में शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया कि केंद्र सरकार किसानों के हित में लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार गेहूं और धान की फसल MSP पर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है और हर साल MSP में बढ़ोतरी कर रही है।
इसके साथ ही, सरकार ने किसानों की क्रेडिट लिमिट भी ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी है। मगर दोस्तों, सवाल ये है कि क्या ये फैसले किसानों के लिए पर्याप्त हैं? या फिर MSP की कानूनी गारंटी के बिना यह सब अधूरा रहेगा?
अब नजरें 19 मार्च की बैठक पर होगी
दोस्तों, अब सबकी निगाहें 19 मार्च को होने वाली अगली बैठक पर टिकी हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने सरकार को अपना पूरा डेटा दे दिया है, अब फैसला केंद्र सरकार को लेना है।
तो दोस्तों, आपका क्या मानना है? क्या इस बार किसानों को MSP की कानूनी गारंटी मिलेगी? क्या सरकार किसानों की सभी मांगें मानने के लिए तैयार होगी? या फिर आंदोलन और लंबा खिंच सकता है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं

खेती-किसानी और कृषि तकनीकों पर 5+ वर्षों का अनुभव। किसानों के लिए उपयोगी जानकारियां और नई तकनीकों पर शोधपूर्ण लेख लिखते हैं।