किसानों और सरकार के बीच MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। शनिवार को छठे दौर की वार्ता हुई, जहां केंद्र सरकार ने किसानों से उनके दावे के समर्थन में आंकड़े जमा करने को कहा। अब अगली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में होगी, जहां इस पर गहराई से चर्चा होगी। क्या इस बार कोई ठोस हल निकलेगा? आइए जानते हैं पूरी ख़बर विस्तार से।
किसानों की मांग
दोस्तों, पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी 23 फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी देने के लिए सरकार को केवल ₹25,000 करोड़ खर्च करने होंगे। किसानों का कहना है कि सरकार को सिर्फ़ खुले बाजार में फसल खरीदने के बाद मूल्य का अंतर भरना होगा, जिससे किसानों को नुकसान न हो।
यही नहीं, किसान नेताओं ने सरकार को पूरा डेटा भी दिया कि कैसे खरीद प्रक्रिया होगी और MSP कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने हर राज्य और हर फसल की गणना टेबल पर रख दी। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस पर सहमत होगी?
सरकार ने माना किसानों का तर्क
दोस्तों, छठे दौर की बैठक को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और MSP पर गहन चर्चा जारी है।
हालांकि, सरकार के अनुसार, उनके पास मौजूद डेटा और किसान संगठनों के आंकड़ों में कुछ अंतर है। इसी वजह से केंद्र ने किसानों से उनके पास मौजूद विस्तृत डेटा मांगा है, ताकि इसे विशेषज्ञों के साथ मिलाकर चर्चा की जा सके। किसान नेताओं का कहना है कि वे जल्द ही अपने आंकड़े केंद्र सरकार को सौंपेंगे।
किसान बोले–MSP गारंटी संभव, सरकार के पास पर्याप्त पैसा
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 5 सालों में कृषि मंत्रालय ने करीब ₹1 लाख करोड़ का फंड इस्तेमाल नहीं किया और इसे वित्त मंत्रालय को वापस कर दिया। उनके मुताबिक़, सरकार के पास पैसा है, लेकिन किसानों को MSP की गारंटी देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही।
किसानों का कहना है कि अगर सरकार वास्तव में किसानों के हित में काम करना चाहती है, तो उन्हें सिर्फ ₹25,000 करोड़ का बजट पास करना होगा। उन्होंने सरकार के पोर्टल से निकाले गए आंकड़े भी पेश किए, जिससे यह साबित होता है कि MSP की कानूनी गारंटी बिना किसी समस्या के लागू की जा सकती है।
19 मार्च को फिर होगी अहम बैठक – क्या निकलेगा हल?
दोस्तों, अब सभी की नजरें 19 मार्च को होने वाली बैठक पर टिकी हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने सरकार को पूरा डेटा दे दिया है, अब गेंद सरकार के पाले में है।
तो सवाल यह है – क्या इस बार किसानों को उनका हक मिलेगा? क्या सरकार MSP की कानूनी गारंटी देने के लिए तैयार होगी? या फिर ये चर्चा भी पिछली बैठकों की तरह अधूरी रह जाएगी?
आपको क्या लगता है दोस्तों, सरकार को MSP की कानूनी गारंटी देनी चाहिए या नहीं? हमें कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं

खेती-किसानी और कृषि तकनीकों पर 5+ वर्षों का अनुभव। किसानों के लिए उपयोगी जानकारियां और नई तकनीकों पर शोधपूर्ण लेख लिखते हैं।