गेहूं की फसल : रबी सीजन की बोनी के साथ ही खेतों में काम तेजी से बढ़ जाता है। गेहूं की फसल बोने से लेकर शुरुआती दिनों की देखभाल तक किसानों की जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ जाती हैं। इसी समय अनचाही घास भी तेजी से बढ़ने लगती है जो गेहूं के पौधों के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा करती है। यह मिट्टी में डाला गया खाद और पानी सोख लेती है जिससे फसल कमजोर होने लगती है और उत्पादन पर गंभीर असर पड़ता है। खेती में मेहनत और खर्च करने के बावजूद जब पैदावार उम्मीद के अनुसार नहीं मिलती है तो किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही रहती है कि आखिर गलती कहां हो रही है।
शुरुआती 30 दिनों में नियंत्रण जरूरी
खरपतवार नियंत्रण का सबसे महत्वपूर्ण समय बोनी के शुरुआती तीस दिन होते हैं। यदि इस अवधि में अनचाही घास को काबू में नहीं किया गया तो पूरी फसल की बढ़वार थम सकती है। गेहूं के पौधे कमजोर पड़ जाते हैं और उत्पादन में सीधा नुकसान होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि शुरुआती चरण में खरपतवार सफाई समय पर कर दी जाए तो पैदावार में लगभग बीस से तीस प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। यही वजह है कि खेती की सफलता का पहला कदम खरपतवार नियंत्रण ही माना जाता है।
रासायनिक और यांत्रिक तरीकों का उपयोग
खरपतवार हटाने के दो प्रमुख तरीके हैं। पहला तरीका रासायनिक विधि है जिसमें विशेष दवाओं का छिड़काव किया जाता है। हालांकि कई बार यह दवाएं फसल को भी प्रभावित कर देती हैं इसलिए सावधानी आवश्यक होती है। दूसरा तरीका यांत्रिक नियंत्रण है जिसमें पुराने समय से हंसिया और खुरपी जैसे औजारों का उपयोग होता आ रहा है। यह तरीका प्रभावी तो है लेकिन समय अधिक लेता है और इसमें बहुत मेहनत भी लग जाती है। बड़े खेतों में इस विधि से काम करना और भी कठिन होता है।
पॉवर वीडर कैसे बदल रहा है खेती का तरीका
किसानों की इन चुनौतियों को देखते हुए पॉवर वीडर खेती में सबसे बड़ी मदद बनकर सामने आया है। यह मशीन गेहूं की फसल में खरपतवार हटाने और मिट्टी को भुरभुरी करने में बेहद उपयोगी मानी जाती है। मिट्टी में हवा का संचार बढ़ने से पौधों की जड़ों को पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं। इससे फसल की बढ़वार तेज होती है और उत्पादन बढ़ता है। पॉवर वीडर से समय श्रम और खर्च तीनों की बचत होती है। इसके अतिरिक्त इसमें कई तरह के अटैचमेंट लगाकर हल्की जुताई और छोटे कृषि कार्य भी किए जा सकते हैं।
दो मॉडल उपलब्ध किसानों को मिल रहा विकल्प
पॉवर वीडर दो प्रमुख मॉडलों में उपलब्ध है। पहला राइड ऑन मॉडल जिसमें किसान मशीन पर बैठकर काम कर सकता है। दूसरा वॉक बिहाइंड मॉडल जिसमें किसान मशीन को पीछे से नियंत्रित करता है। छोटे किसानों के लिए वॉक बिहाइंड मॉडल सबसे सुविधाजनक माना जाता है जबकि बड़े खेतों वाले किसान राइड ऑन मॉडल को प्राथमिकता देते हैं। इन दोनों मॉडलों की मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि प्रदर्शन और सुविधा दोनों ही बेहतरीन हैं।
क्षमता कीमत और सब्सिडी की पूरी जानकारी
पॉवर वीडर पांच एचपी से बारह एचपी तक की क्षमता में आता है। पांच एचपी की मशीन एक घंटे में लगभग आधा से दो एकड़ तक खरपतवार साफ कर सकती है। बाजार में इसकी कीमत पच्चीस हजार से एक लाख रुपये तक होती है। सरकार किसानों को इस मशीन पर कुल पचास प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। इसमें चालीस प्रतिशत केंद्र और दस प्रतिशत राज्य सरकार का हिस्सा है। इसके लिए ई कृषि अनुदान पोर्टल mpdeg.org पर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के लिए आधार कार्ड पैन कार्ड बी 1 और लिंक मोबाइल नंबर जरूरी दस्तावेज होते हैं। यह अनुदान एसएमएएम योजना के अंतर्गत दिया जाता है।
बागवानी में भी पॉवर वीडर की बड़ी उपयोगिता
पॉवर वीडर सिर्फ फसली खेतों में ही नहीं बल्कि बागवानी में भी बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। बागों में बड़े पेड़ों के बीच की खाली जमीन में घास तेजी से फैल जाती है जिसे हाथ से हटाना मुश्किल होता है। यह मशीन उस घास को आसानी से साफ कर देती है और साथ ही मिट्टी को ढीला करके फसल के लिए लाभदायक वातावरण तैयार करती है। इससे बागवानी की उत्पादकता भी बढ़ जाती है।

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