Guru Purnima 2025: हम सभी के जीवन में एक ऐसा व्यक्तित्व जरूर होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के हमें सही दिशा दिखाता है, मुश्किलों में सहारा देता है और हमारे जीवन को ज्ञान की रौशनी से भर देता है। यही तो हैं – हमारे गुरु। और जब गुरु को सम्मान देने का मौका आता है, तो वो दिन होता है गुरु पूर्णिमा का। ये केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारे आत्मिक और बौद्धिक विकास का उत्सव है।
गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बड़े श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाई जाती है। इस दिन हम अपने उन सभी गुरुओं को नमन करते हैं, जिन्होंने हमें कुछ न कुछ सिखाया, चाहे वो स्कूल के शिक्षक हों, आध्यात्मिक संत हों या फिर जीवन में सही और गलत की पहचान कराने वाले माता-पिता या वरिष्ठजन। ये पर्व गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जिसमें श्रद्धा, भक्ति और कृतज्ञता की सुंदर अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।
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Toggleगुरु पूर्णिमा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। उन्होंने महाभारत, अठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, और ब्रह्म सूत्र जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। वेदव्यास जी ने सनातन धर्म को ऐसा अद्भुत साहित्य दिया, जो आज भी हमारी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शक है। इस कारण, गुरु पूर्णिमा के दिन उनके योगदान को स्मरण करते हुए, उन्हें और अपने सभी गुरुओं को श्रद्धांजलि दी जाती है।
गुरु सिर्फ वो नहीं होते जो हमें किताबों से ज्ञान देते हैं, बल्कि वो भी होते हैं जो जीवन के मोड़ों पर हमारे भीतर की रौशनी जगाते हैं। कभी वो माँ-बाप के रूप में होते हैं, कभी कोई मित्र, कभी कोई अध्यात्मिक मार्गदर्शक। इस दिन हम उन सभी को धन्यवाद कहते हैं, जिन्होंने हमें जीवन के किसी भी मोड़ पर कुछ अच्छा सिखाया हो।
गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व 10 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 10 जुलाई को रात 01:37 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई को रात 02:07 बजे
यानी कि 10 जुलाई को पूरे दिन गुरु पूर्णिमा के विशेष पूजन और अनुष्ठान किए जा सकते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, गुरु पूजन और ध्यान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य सौगुना फल देता है।
गुरु का जीवन में महत्व – एक भावनात्मक संबंध
गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत गहरा होता है। एक गुरु केवल पढ़ाई या साधना सिखाता ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला भी देता है। गुरु हमें हमारे आत्मबल से जोड़ता है, हमारे विचारों को निर्मल करता है और हमें इस संसार में सही राह पर चलना सिखाता है। जब हम भ्रमित होते हैं, तब उनका एक वाक्य जीवन की दिशा बदल सकता है।
कभी आपने सोचा है कि अगर जीवन में कोई गुरु न हो, तो हम क्या कर पाते? यही वजह है कि गुरु को ईश्वर से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है –
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।”
इस मंत्र में वही श्रद्धा है, जो इस पर्व की आत्मा है।
गुरु पूर्णिमा – श्रद्धा का पर्व, आत्मिक जागरण का उत्सव
गुरु पूर्णिमा का दिन आत्मा को प्रकाशित करने वाला पर्व है। यह केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्म चिंतन, आत्म सुधार और आभार व्यक्त करने का दिन है। इस दिन हम संकल्प लेते हैं कि हम अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर चलें, जीवन में सच, सेवा, और संस्कार को अपनाएं।
अंत में…
गुरु पूर्णिमा एक ऐसा सुनहरा अवसर है, जब हम अपनी जिंदगी के उन अनमोल पलों को याद करते हैं, जो गुरु की कृपा से हमें मिले। अगर आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने आपको प्रेरित किया है, आपको कुछ सिखाया है – तो इस दिन उन्हें जरूर धन्यवाद कहें, चाहे वो पास हों या दूर।
गुरु पूर्णिमा पर पूरे मन से श्रद्धा व्यक्त कीजिए और अपने जीवन में गुरु के मार्गदर्शन को अपनाइए, क्योंकि गुरु ही हैं जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
शुभ गुरु पूर्णिमा 🙏
Disclaimer
यह लेख धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को गुरु पूर्णिमा पर्व के महत्व और तिथि की जानकारी देना है। कृपया अपने स्थानीय पंचांग या विशेषज्ञों से भी परामर्श करें ताकि स्थान के अनुसार शुभ मुहूर्त और परंपराओं का सही पालन हो सके।

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